हंस की तरह गुणग्राहक बनो। बेकार और बुरी बातों को छोड़कर केवल उपयोगी को ही
ग्रहण करो। – Rig veda ऋग्वेद
- जो गुणवान हैं उनकी प्रशंसा होती है। गुणविहीन व्यक्ति का कहीं आदर नहीं होता। – Rig veda ऋग्वेद
- कानों से अच्छे विचार ही सुनो। दूसरों की निंदा और त्रुटियाँ सुनने में अपना समय नष्ट न करो। – Rig veda ऋग्वेद
- द्वेष नहीं प्रेम करो – Rig veda ऋग्वेद
- अग्नि से अग्नि और आत्मा से आत्मा प्रदीप्त होती है। दीप्तमान आत्माओं के संपर्क में रहकर अपनी आत्मा को प्रदीप्त करो। – Rig veda ऋग्वेद
rig veda in hindi